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गरीबी क्या हैं, गरीब से पूछो
खुशी क्या है, किसान से पूछो
मेहनत क्या है, मेहनतकश इंसान से पूछो
किस्मत क्या है, धनवान से पूछो।
खाली पड़े हो बर्तन सारे
जब वो अपने भूख से बिलखते बच्चों को निहारे
खाने को न हो अन्न का एक भी दाना
जेब में ना हो बाहर आना
वो ही तो है गरीबी ।
सुबह सवेरे एक किसान जागा
भोर हुई है भैया। कहकर खेतों की तरफ वो भागा
देख कर अपनी हरी भरी फसल
मंद मंद मुस्काए, उस से सुनो कभी की क्या है वो खुशी!
ना सूरज की तेज किरणे, ना कड़ाके की ठंड
ना बरसात के बारिश ना सर्दी की ठिठुरन
ना उमस का पसीना, ना भीगता मौसम
जिसे रोक ना पाए मेहनत करने से
सुबह से रात तक जो काम करे
थकान होने के बावजूद भी ना को आराम करे
यही तो है मेहनत, जो मेरे देश का हर किसान करे।
किस्मत का अब क्या बताऊं
आओ! चलो कुछ आंखो देखी तुमको बतलाऊं
कभी लगता है किस्मत सिर्फ अमीरों पर मेहरबान है
जो है किस्मत वाला, वही तो धनवान है
कुछ तो फटे कपड़े पहने बार बार
कुछ के नखरे ऐसे एक कपड़े को ना पहने अगली बार
एक तरफ खाना गिराया जाता है
दूसरी तरफ फेंका हुआ भी उठाया जाता है
अक्सर सबके लिए अन्न उगता है जो किसान,
उसका खुद का परिवार भूखा सो जाता है
कही अमीरी इतनी की संभाले नहीं संभालती
कही गरीबी इतनी की मिट ना मिटती
बच्चों की भी देखो किस्मत निराली है
कुछ पड़ने जाते लंबी कार में
कुछ कूड़ा बिनने बैठते हैं भोर में
कहीं सूली चढ़ती ही गरीब बिटिया की पढ़ाई
तो कही कच्ची उम्र में जाती है वो ब्याही
ना जाने परमात्मा कब गरीबी पर रहम बरसाएगा
कब अमीर – गरीब, जात – पात का भेद मिटाएगा
आखिर कब वो दिन आएगा
जब गरीब भी नए वस्र पहने सुख की रोटी खायेगा
आखिर कब वो दिन आएगा
जब गरीबों के घर में बसंत लहराएगी
और किस्मत गरीबों के हक में भी फैसला सुनाएगी।