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चेहरे पर
एक और चेहरा
विचारों में
आतंक और भ्रष्टाचार का पहरा
दिखावा है हर तरफ
हो रहे आधुनिक सभी
बदला, बोलचाल का तरीका
हकीकत से दूर
एक चेहरे पर
कई चेहरे लिए
जीता है हर शख्स
संत बन लोगों को मोह लेते हैं
कभी भ्रष्टाचारी बन खोखला करते हैं
थाने में रिश्वत लेने से डरते हैं जो
होटलों  में जाकर भ्रष्टाचार करते हैं
खाते है जो कसम देश पर
मर मिटने की
वहीं दरिंदे
इस माटी को करते बदनाम हैं
दौलत भी चाहिए, ईमान भी चाहिए
शौहरत भी चाहिए, सम्मान भी चाहिए
देश को खोखला करना है मकसद
जो उन गद्दारों पर विश्वास दिखाए
ऐसे बेवकूफ इंसान भी चाहिए
कौन सा चेहरा सच्चा है
हर मास्क के पीछे
एक दरिंदा है
धोखे बाजों का इतना
मेला लगा है यहां
लगता है हर शख्स
कई चेहरे लिए जीता है यहां

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