Photo by Kogulanath Ayappan: pexels

क्यों जब राह में चलती हूं तो कोई यूं ही छेड़ देता है
क्यों जब किसी से कहूं तो वो हाथ मरोड़ देता है
क्यों दुनिया हर बात पर देती है गालियां मुझको
कोशिश तो कर ए – दुनिया समझने की एक लड़की को
मैं भी इंसान हूं
मुझमें भी प्राण है
तो क्यों मार देते हो मुझे मां की कोख में
क्या हूं मैं बोझ,
या हूं लक्ष्मी मैं
तो क्यों इस जहां में सांस लेने से पहले ही मेरा वजूद मिटा देते हो
अरे !
अभी तो मेरी किलकारी गूंजी भी नहीं होती कि कलकनी नाम मुझको देते हो
क्यों हर मोड़ पर कोई मासूम किसी की हवस का शिकार हो जाती है
क्यों सिर्फ उसकी बेबसी की कहानी रह जाती है
गलती लड़के की होती है, फिर भी क्यों कलंक मानती है मुझको
कोशिश तो कर ए – दुनिया समझने की एक लड़की को
आखिर क्यों बंटता जाता है मेरे प्रति परिवार का प्यार
आखिर क्यों कठोरता से किए जाते है मुझ पर इतने वार
आखिर क्यों जलती है दहेज की आग में डोली मेरी
आखिर क्यों इंसान ही शैतान बन जाता है
आखिर क्यों औरों का खून, खून
हमारा खून, पानी
औरों का दर्द, दर्द
और हमारा दर्द, कहानी
आखिर क्यों दुनिया हर बात पर देती है गालियां मुझको
कोशिश तो कर ए – दुनिया समझने की एक लड़की को
कोशिश तो कर ए – दुनिया समझने की एक लड़की को

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