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बेमुरब्बत बहुत आदमी, इस का विश्वास मत कीजिये,
स्वार्थ डूबी वफ़ा को महज, प्यार का नाम मत दीजिये ।
आदमी और गिरगिट में है, रंग बदलने की क्षमता मगर,
गिरगिटों से बचो ना बचो, आदमी से बचा कीजिये ।
जख्म सीने पे देते हैं जो, उन से डरना जरूरी नहीं,
पीठ पीछे जो हमला करें, सिर्फ उनसे बचा कीजिये ।
विष वमन जो करे सामने, उनसे कोई न शिकवा, गिला,
बोल मीठे जो बोलें बहुत, उन से बच कर रहा कीजिये ।
चाटुकारों का इमां धरम, देखिये कोई होता नहीं,
ऐसे लोगों की महफ़िल में तो, फूंक कर पग धरा कीजिये ।
सदियों मिलते रहे हो गले, यह चलन आज से छोडिये,
बम बने घूमते आदमी, अब गले मत मिला कीजिए ।
इस जमाने में चमचों की तो, अपने अफसर से ज्यादा चले,
अफसरों से डरो ना डरो, चमचों से डरा कीजिए ।
अब अमन, चैन सब लुट चुका, सैर सपाटों के दिन लद गए,
व्यर्थ ही तुम इधर या उधर, घूमते मत फिरा कीजिये ।
आँख से आँख कोई मिले, दुनिया वालों के दिल जल गए,
जो भी करना है छुपके करो, खुल्लमखुल्ला न कुछ कीजिये ।
काम सीधा किया आपने, फिर तो निश्चित ही पछतायेंगे,
आज उल्टे ही दस्तूर हैं, अब चालें उलटी चला कीजिये ।
आँख में किसकी क्या है भरा, कुछ भरोसा न इंसान का,
पर्दा करके ही बातें करो, आँख मिलने ही मत दीजिये.
आँख जिनजिन की उनसे मिली, होश सबके वहीँ खो गए,
फर्क नजरों का पहचान कर, बद नजर से बचा कीजिए ।
आप से एक विनती मेरी, शौक लुटने का है अब मुझे,
एक पल की झलक दे मुझे, लूट मेरा सभी लीजिये ।
हर कोई चीज अच्छी नहीं, आप को जो भी सुन्दर लगे,
फूली फूली हों जब रोटियां, तब सम्हलकर छुआ कीजिये ।
क्यूँ सहन कोई करने लगा, व्यंग वाणों की बरसात को,
सीधी साधी औ’ सच बात भी, मत किसी से किया कीजिये ।
आँख में अश्रु को देख कर, लाख खुशियाँ मनाते हैं लोग,
अपनी सामर्थ को आप यूँ, अश्रु में मत बहा दीजिये ।
भ्रष्ट रंग में रंगी है फिजा, जल भी इस से अछूता नहीं,
भ्रष्टता विष को अमृत समझ, आंख मूंदे पिया कीजिये ।
पाक दामन हो जिसका यहाँ, दाग उस पर लगाते हैं लोग,
भ्रष्ट जन को जरूरी यही, भ्रष्ट सब को बना लीजिये ।
कथनी करनी में अंतर बहुत, जो भी कहते हैं, करते नहीं,
सुनिए सबकी यहाँ पे मगर, अपने मन की किया कीजिये ।
अपना बन कर के खंजर यहाँ, पीठ में घोंपते है ये लोग,
ऐसे मौका ही मत दो उन्हें, सबको दुश्मन समझ लीजिये ।
दुआ गर मिले न मिले, फ़िक्र इस की कभी ना करो,
व्यर्थ में पर किसी के लिए, बददुआ मत लिया कीजिये ।
जिन्दगी भर सनम आपको, अबतो रहना इसी हाल में,
रंज कर या मना तू ख़ुशी, या गिला ही किया कीजिये ।
मौत आनी है सबको यहाँ, दिन भी निश्चित है सबके लिए,
मौत आहट से कदम दर कदम, जीते जी मत मरा कीजिये ।
मौत और जिंदगी में फरक, सांस, धड़कन से ज्यादा नहीं,
मौत के बाद सब शान्त है, जिन्दगी से डरा कीजिये ।
उम्र लम्बी हो सौ साल की, ऐसा अभिशाप मत दो मुझे,
प्यार, अपनत्व, खुशियों भरी, जिन्दगी की दुआ कीजिये ।
जो भी होना है होगा वही, तेरी किस्मत में जो है लिखा,
सोच कर रात की नींद को, व्यर्थ ही मत उड़ा लीजिये ।
नाग तनहाइयों के तुम्हें, जब दंश पर दंश देने लगें,
ढूंढ कर सच्चा साथी कोई, हर समय खुश रहा कीजिये ।