Image by abigailjthompson from Pixabay 

आओ हम सब इतना जानें,
बेटी की कीमत पहचानें,
बेटी को बेटे से ज्यादा,
अगर नहीं, समकक्ष तो मानें!

कन्या हत्या, भ्रूण में करने,
का जैसे अपराध बढ़ा है,
बेटी बेटे की जन्म दरों का,
आवश्यक अनुपात घटा है!

सृष्टि को संचालित करती,
फिर भी तिल तिल कर ही मरती,
अगर समाज में रही न लड़की,
सुख से बंजर होगी धरती!

एक लिंग से नहीं बचेगी,
सृष्टि, जीवन की परिपाटी,
न नर के बिन, न नारी बिन,
लुप्त होगी, यह मानव जाति!

अगर पढेगी अपनी बिटिया,
सोच न होगा उसका घटिया,
अगर पढेंगी देश की बेटी,
नहीं किसी की होगी हेटी!

पढी लिखी बिटियाओं ने,
नव भारत की लाज समेटी।
पढी लिखी अब हर बिटिया है,
हिन्द देश के गर्व की पेटी!

इसीलिए मेरी विनती है,
मत दो सृष्टि में व्यवधान,
“बेटी बचाओ, बेटी पढाओ”,
करिये बस ऐसा आव्हान!

.    .    .

Discus