हर जिंदगी की राह में,
हर कदम, हर मोड़ पर,
दर्द, गम, कांटे,
बहुत विखरे पड़े हैं,
हर पाँव में हैं जख्म,
कुछ नए, कुछ पुराने,
राह कंटक, फिर भी,
उन पर साधे निशाने,
लोग बेवश चल रहे हैं या खड़े हैं
क्योकि -
उन की सांस, धड़कन चल रही है,
दूर कोई आस की लौ जल रही है,
और सुखों की लालसा है,
जो दिलों में पल रही है,
व्याप्त दुख की आग, पर जीने ना देगी,
और सुखों की लालसा, मरने ना देगी,
हम सभी ने, यह गरल पीया यहाँ पर,
क्या है यही दस्तूर जीने का यहाँ पर?