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माँ ने हमको दिया है जीवन, पोषण, लाड दुलार,
धड़कन, साँसें, ममता, उत्तम सोच, रक्त संचार,
भाषा, संस्कार, संस्कृति का, मधुर प्यार, व्यवहार,
माँ ने ही भर दी रग रग में, अद्भुत प्रेम फुहार ।

प्रेम की पराकाष्ठा से ही, सुखमय हर परिवार,
माँ से ही चिरस्थायी जग में, खुशियों का संसार,
माँ ही है अस्तित्व सृष्टि का, माँ ही जग आधार,
कभी कोई न चुका पायेगा, माँ का यह उपकार ।

माँ, ईश्वर प्रतिरूप धरा पर, साक्षात भगवान,
माँ चरणों में, तीन लोक के, सारे तीरथ धाम,
माँ ने केवल देना सीखा, अपनत्व, समर्पण, त्याग,
और बदले में कभी ना चाहा, दौलत या उपहार ।
ईश्वर तक ना चुका सका है, माँ का यह उपकार।।

माँ के ही दिए तन, मन, बुद्धि, और माँ की ही दी भाषा है,
क्या माँ से बेहतर, ब्रम्हांड में कोई ?, मन में यह जिज्ञाषा है ।

जग के चप्पे चप्पे पर है, माँ महिमा अपरम्पार,
आओ नमन करें उस माँ को, हम सब बारम्बार!
शत शत नमन करें उस माँ को, मिलकर बारम्बार!

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