“ईश्वर सृष्टि रचेता केवल,
माँ सृष्टि चलाती चुटकी में,
दुनियां कायम बनी रहेगी,
जब तक माँ है सृष्टि में ! “
यह प्रमाण इस पुष्टि में ।
लाखों कष्ट उठाकर भाई,
माँ ही हमको जग में लाई,
बिना स्वार्थ के, ममतावश ही,
मन भावन, इस सृष्टि में,
बड़े प्यार से पाल पोस कर,
अपना सुख न कभी सोचकर,
नव पीढ़ी को पोषण देती,
ढाल बने, दुख वृष्टि में .
महा प्रलय भी दूर रहेगी,
जब तक माँ है सृष्टि में !
उसको सबसे ज्यादा प्यारी,
अपने बच्चों की खुशहाली,
बाकी के सुख, खुशियाँ जग की,
लगें व्यर्थ , झूठे और जाली,
बच्चों की रक्षा, खुशियों को,
दुनियां से भिड जाने वाली,
पर बच्चों की आह, छींक से,
बेहद ही डर जाने वाली !
‘बेस्ट’ धरोहर, और खजाना,
बच्चे, माँ की दृष्टि में !
माँ के इस निस्वार्थ कृत्य पर,
सोचो, करना गहन मनन,
उसका सुख सर्वोपरि रखना,
न हक, हित हों, कभी हनन,
अपनत्व, प्यार की मरहम से ही,
कर सकते, दुख दर्द शमन,
संकल्प यही लें, इस मातृदिवस पर -
“ माँ को नित हम करें नमन “
" माँ को शत शत बार नमन ! "
माँ के इस मातृत्व भाव का,
जोड़ नहीं इस सृष्टि में !
“ ईश्वर सृष्टि रचेता केवल,
माँ सृष्टि चलाती चुटकी में,
दुनियां कायम बनी रहेगी,
जब तक माँ है सृष्टि में ! “