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जीवन मधुर कल्पनाओं का,
एक सुहाना सफर साथियो,
पर दुख की बदली देती है,
बस यथार्थ का ज्ञान साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

उर में सुख के पंख लगाकर,
विहग बना मन उड़ता जाये,
अन्तहीन सुख के इस नभ पर,
पावं कहाँ धरती पर पाये ?
वापस धरती पर ही आयेगा,
उड़ ले जो, सामर्थ साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

चप्पा चप्पा इस धरती का,
इंसानों ने बाँट लिया है,
बंटें न अब नभ, सूर्य, चाँद ये,
डरता है मन सुनो साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

आने वाले कल में जब नभ,
धरती जैसा बँट जायेगा,
इंसा खुद ही बन जायेगा,
पिंजरे का एक विहग साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

हरी भरी मोहक धरती का,
इतना दोहन कर डाला है,
लुप्त हो रहे जीव जन्तु और,
नंगी धरती सुनो साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

इसी कदर यदि हरा आवरण,
धरती का नौचा जायेगा
प्राण वायु का बांध सिलिन्डर,
जीयेगा मनु सुनो साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

दुख, सुख पूरक एक दूजे के,
वरना दोनों रहें अधूरे,
कैसा दुख देखो बिन सुख के,
बतलायेगा कौन साथियो ?
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

जो काँटों के संग पला हो,
वह कैसे यह जान सकेगा,
कितना सुखकर हो सकता है,
फूलों का सानिध्य साथियो ?
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

कुंठित, लुंठित सोच हमारा,
सिर्फ आज तक सीमित क्यों है,
आने वाले सुन्दर कल का,
कर लें, कुछ निर्माण साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

स्वार्थ सिद्धि की लक्षमण रेखा,
आज स्वयं तक सिमट चुकी है,
परहित सहज भावना से ही,
हो सकता कल्याण साथिओ !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

देख प्रदूषण के दानव ने,
जीवन दूभर कर डाला है,
आज मनुज के निहित स्वार्थ का,
अन्त नहीं कुछ सुनो साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

ज्ञान चक्षु को मूँद के पागल,
अन्धकार में भटक रहा है,
काट रहा है उसी डाल को,
जिस पर बैठा स्वयं साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

जिगर, कलेजे के टुकड़ों को,
पाल रहा है बड़े शौक से,
अज्ञानी बन दूषित करता,
जाता है हर फिजां साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

जलवायु में जहर घुला है,
जिसके अपने बद कृत्यों से,
उसके अपनों का भविष्य भी,
नहीं सुरक्षित रहा साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का,
एक सुहाना सफर साथियो,
पर दुख की बदली देती है,
बस यथार्थ का ज्ञान साथियो !
जीवन मधुर कल्पनाओं का …

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