वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का, आशियाना हो गया है,
रंज औ' गम का, जिन्दगी से, दोस्ताना हो गया है,
अब मन उमंगित, तन तरंगित, खोखला सा हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का...
साँस उखडी, कमर दुखती, आँखों में छाया अंधेरा,
नित नए दुख दर्द की, सौगात लाता हर सवेरा,|
दर्द मंडित अब धरा का, यह बिछोना हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का...
पांव कंपते, हाथ कंपते, और गर्दन कांपती है,
दो कदम चलते तो साँस, धौंकनी सी हांफती है,
उम्र से अभिशप्त कैसा, हाय जीवन हो गया है ?
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का...
टीस उठते दांत जब तब, और सुनना कम से कमतर,
धमकियाँ दिल दे कभी तो, बढ़ता, घटता रक्त प्रेशर,
हर अंग का मकसद हमीं को, अब डराना हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का...
अपनत्व के वश अपने कहते, जूस, टॉनिक, दवा पी लो,
भूल कर दुख, वृद्धावस्था, सुख, चैन, मस्ती संग जी लो,
पर साँस, धड़कन कर्म भी, बोझा उठाना हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का...
अब तो चलती धड़कन, सांसें, मुझको दंश से देने लगीं हैं,
जो कभी अधीनस्थ थीं, वो भी अब हावी बहुत होने लगीं हैं,
अब मौत के रहमोकरम पर, अपना जीना हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का...
जर्जर तन में,अनगिनत हैं, दुख दर्द के ही ताने बाने,
इन्तहा इतनी अधिक है, यही सच है, पर कौन माने ?
अब मौत का डर, खौफ भी, दिलकश सुहाना हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का.....
इन्तहा दुख, दर्द, नैराश्य की, आज इतनी बढ़ गई है,
तन त्याग की अब लालसा, ख़ुशी के सिर चढ़ गई है,
अब मौत को स्वीकारने, तन मन दीवाना हो गया है।
वृद्ध जीवन दर्द औ' दुख का, आशियाना हो गया है !
रंज औ' गम का, जिन्दगी से, दोस्ताना हो गया है !!