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याद बहुत आतीं हैं बहनें !!
लड लें, भिड लें, पीटें, पिट लें,
जुल्म बहुत कर लें, सह लें,
चाहे वह खुद कुछ भी कह लें,
औरों को ना कुछ कहने दें,
भाई के उज्जवल भविष्य को,
त्याग सभी सुख देतीं बहनें।
याद बहुत आतीं हैं बहनें !

बहन बडी या फिर छोटी हो,
अपनत्व, प्यार की मूरत बहनें,
जब ससुराल चली जातीं हैं,
सूना घर कर जातीं बहनें,
भाई अकसर बहन को भूलें,
पर भूल कहां पातीं हैं बहनें ?
याद बहुत आतीं हैं बहनें !

कैसा भी निष्ठुर भाई हो,
राखी, दौज निभाती बहनें,
तनिक कष्ट भाई को हो तो,
गुपचुप अश्रु बहातीं बहनें,
लेकिन अपने दुख दर्दों को,
कभी नहीं बतलातीं बहनें।

याद बहुत आतीं हैं बहनें !
याद बहुत आतीं हैं बहनें !!

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