बसंत पंचमी यानी कि ऋतुराज बसंत का आगमन बसंत पंचमी यानी शोभा सौंदर्य शुभ लक्ष्मी आदि आदि अर्थ भी किए गए हैं। विद्या वाणी की देवी सरस्वती जी का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था वसंत पंचमी यानी सौंदर्य और विद्या की महक का समन्वय है बसंत पंचमी हमारे जीवन को हरा भरा कर देती है। बसंत पंचमी बसंत का वैभव एवं सरस्वती याने विद्या प्रारंभ का प्राकृतिक पर्व है बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी की पूजा की जाती है।
मैं भी सरस्वती देवी जी के मंदिर ने पूजा करने के लिए वहां मंदिर में देखा बहुत ही बड़ी सरस्वती देवी जी की मूर्ति थी, सरस्वती देवी हंस पर विराजमान हाथ में वीणा धारण करके श्वेत वस्त्र धारण करके बैठी थी। सरस्वती के कमल श्वेत वस्त्र और श्वेत हंस जो कि शुद्धि और सात्विकता का प्रतीक है।
एक कवि ने वसंत पंचमी को कवियों के और गायकों के तरुण और रसीको के लिए है ऐसा कहा है वसंत पंचमी का यानी के सरस्वती जी का संदेश है कि हम सौंदर्य की पूजा करें और ईश्वर कीसच्ची पूजा आज मानव में विलास आ गई है।
वृक्षों की सुंदरता देखने के लिए बहुत कम समय में मिलती है । वैदिक काल में माता सरस्वती की उपासना होती थी यानी के ईश्वर का एक नाम सरस्वती भी है ईश्वर ने हमें वेद वाणी दी है इसीलिए ईश्वर का नाम सरस्वती है। वैदिक मान्यता के अनुसार हमें वेद के मंत्रों का पाठ करना चाहिए, सुनना चाहिए और वेद का संदेश हमें जीवन में भी उतारना चाहिए यही सच्ची आराधना है।
माता सरस्वती जी की हम ह्रदय से मनसे सच्ची आराधना करे वेद का एक प्रसिद्ध मंत्र जोकि गायत्री मंत्र से प्रसिद्ध है। गायत्री मंत्र वेद विद्या आरंभ के लिए सबसे पहला विषय है। प्राचीन समय में गुरुकुल में आचार्य सबसे पहले गायत्री मंत्र शिष्यों को सिखाते थे इसीलिए गायत्री मंत्र विद्यारंभ के लिए जाना जाता है और इस मंत्र में हम अपनी बुद्धि को वेद पढ़ने में और अच्छे कार्य में लगाएं ऐसा भावार्थ होता है, इसीलिए हम गायत्री मंत्र से माता सरस्वती की आराधना करें।