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कहते हैं, किताबें आईना होती है…
यह हमें वही दिखाती है
जो हमारे भीतर होता है ,
किताबें वह दोस्त होती हैं
जो इंसान को अपने आप से भेट कराती है।
रहस्यमयी होती है ये !
पता नहीं, पर कैसे हर बार मुझे
एक नया एहसास दिलाती है !
कैसे, यह पन्नों पर छपे शब्दों को मन में बिठाती है?
यह शांत किताबें
हमसे कितना कुछ कह जाती है।
कभी एक बार में सब सिखाए ,
तो कभी एक बात में ही बहुत से रहस्य छुपाये ।
आए अलग-अलग वेशभूषा पहनकर
इतिहास, ब्रह्मांड, विज्ञान, परिसर,
स्वावलंबन, आध्यात्मिक, अर्थशास्त्र
और न जाने कितने स्वरूप !
हँसाती, रुलाती, रहस्य जगाती
ढेर सारी कविताएं, विचार, कहानियाँ बताती !
हैरान हूं! यह किताबें हैं या जादुई पिटारा
हर बात का यह उत्तर दे जाती।

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