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हम भावुक प्रधान देश है इसलिए जबतक जुर्म या जुर्म करने वाला सामने नहीं आता हम उसे सेलिब्रिटी या मसीहा समझते हैं। राज कुंद्रा जिन्हे एक महीने पहले तक एक सफ़ल उद्योगपति माना जाता था वो आज पॉर्न फिल्मों में अपने निवेश और मलकियत को लेकर हिसारत में है। भारत जहां इज्ज़त रूपये से अधिक अहम भूमिका रखती है वहा अब कुंद्रा के लिए अपनी जड़े फिर से ज़माना मुश्किल होगा। 

पर क्या यह पहली बार हुआ है कि कोई उद्योगपति अश्लील फिल्मों में पैसे लागने की वजह से दुनिया के सामने शर्मिंदा हुआ हो या एक एलिट क्लास के लिए यह सब एक रूटीन है? वर्ष 2004 में अमेरिका की मशहूर सोशलाइट और हिल्टन होटल की वारिस पेरिस हिल्टन का सेक्स टेप लीक हुआ। पेरिस हिल्टन जो एक पेज 3 पर आने वाली पर आम सोशलिट हुआ करती थी, वो पूरी दुनिया में छा गई। 

उनकी खबरें पेज थ्री से निकलकर फ्रंट पेज पर आने लगी। और देखते ही देखते वो सेक्स सिंबल से हटकर एक टीवी स्टार बन गई। उन्होंने अपने नाम का फ़ायदा उठाते हुए विश्व में अपने स्टोर खोले जहां परफ्यूम से लेकर हैंड बैग्स तक उपलब्ध थे। बदनामी को एक अवसर पर बदल दिया गया पेरिस हिल्टन की सलाहकार टीम ने।

लगभग कुछ यही नीति अपनाई गई एक और अमरीकी सोशलाइट किम करदाशियां द्वारा। वो भी लगभग उसी रणनीति से कामयाब हुई जिससे हिल्टन हुई थी। सेक्स टेप से उद्योग तक। आज किम करदाशियां अरबों की मालिक है। पर उनकी शोहरत की पहली सीढ़ी बना सेक्स आज उनको दूसरी पहचान दिला चुका है।

इन सब उदाहरण में सेक्स आज बेहद दुःसाध्य पर शीघ्र सफ़लता का जरिया बनाता जा रहा है। टीन एजर्स अति महत्वाकांक्षी होने के साथ साथ भटकाव में भी घिर रहे हैं। इसका सबूत है टिक टॉक और यूट्यूब पर वो कम उम्र के यूट्यूबर्स जो मिलियन फॉलोअर्स की गिनती बनाते हैं सिर्फ भद्दी भाषा और शरीर के ऊपर अपमानजनक टिप्पणियाँ कर के जिन्हे लोग चटाखरे लेकर देखते है।

व्यवसायीकरण की इस होड़ में कौन सी संस्कृति बचाने की पहल का आगाज़ कुंद्रा की गिरफ्तारी से दिखाता मिल रहा है उसमे संशय है क्योंकि हमाम में सभी नंगे है।

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