File Photo: Author Kavita Singh 

" निशांत तुम अभी तक गए नहीं" आज भाई दूज है ,और रचना तुम्हारा इंतजार कर रही होगी..कल ही तुम्हारी मां ने उसे बताया कि तुम नई गाड़ी खरीद कर लाए हो, बहुत खुश हो रही थी वह!!

निशांत के पापा ने उससे हंसते हुए बोला....

" पर पापा मेरे ऑफिस में बहुत महत्वपूर्ण काम है" मैं उसे छोड़कर नहीं जा सकता बॉस से डांट पड़ जाएगी...और फिर वह कोई बच्ची थोड़ी ना है ऑटो से या रिक्शा से आ

जाएगी वैसे भी एक ही शहर में तो रहते हैं हमलोग!

निशांत गुस्से में बोलने लगा!

" बदतमीज तुम अपनी बहन के लिए ऐसी बातें करते हो??

तुम्हें शर्म नहीं आती बोलते हुए..घर में दो-दो गाड़ी रहते

हुए ऑटो-रिक्शा से आएगी मेरी बेटी और तुम कभी मत भूलना जितना अधिकार तुम्हारा है,इस घर पर उतना ही अधिकार उसका भी है.. निशांत के पापा गुस्से में चिल्लाते हुए बोले!

" पर पापा बेटी तो बुआ जी भी है इस घर की"आज तक आपने कितनी बार गाड़ियां भेजी है उन्हें लेने के लिए?

आज दादा जी और दादी नहीं रही तो बुआ इतनी पराई

हो गई हमलोगों के लिए??

इतने में निशांत के पापा दो थप्पड़ उसके गाल में रख दिए,

निशांत की मां उसके पापा को समझा कर बोलने लगी..

जवान बच्चा है ऐसे हाथ मत उठाया करो इसपर...

" अच्छा तो अब तुम आ गई वकालत करने इसकी" तुम्हारा ही बिगाड़ा हुआ है जो इतनी जवाब देता है.. बोलकर निशांत के पापा गुस्से में पैर पटकते हुए कमरे में चले गए!!

अपने कमरे में जाकर निशांत की कही हुई बातों को सोचने लगे..कहीं ना कहीं तो निशांत का कहना बिल्कुल सही

था, मैं फालतू में ही बच्चे के ऊपर हाथ उठा दिया..उसके कहने का तरीका जरूर गलत था,पर बात तो बिल्कुल सही है

अचानक से कमरे से बाहर निकले और अपनी पत्नी से गाड़ी की चाबी मांगने लगे,और बिना किसी को कुछ भी बताए गाड़ी लेकर अपनी बहन शकुंतला के घर निकल पड़े...!

भाई को देख कर बहन बहुत खुश हुई" अरे भैया आप अचानक से" यहां कैसे सब ठीक तो है ना?

निशांत की बुआ जी अपने भाई से पूछने लगी..

" हां -हां सब ठीक है" दरअसल आज भाई -दूज है ना,

इसलिए मैं सोचा तुम्हें लेने आ जाऊं!

ठीक है भैया मैं अभी फटाफट तैयार हो जाती हूं...तब तक आप चाय -नाश्ता कीजिए,निशांत की बुआ जी बोलने

लगी!

दोनों भाई बहन घर पहुंचे, निशांत की बुआ जी अपनी भाभी से लिपट कर रोने लगी" भाभी आज मुझे ऐसा एहसास हो रहा है जैसे मां- पिताजी जीवित हो, पर ए चमत्कार हुआ कैसे??

" आप अंदर आइए मैं आपको सब कुछ समझाती हूं"

निशांत की मम्मी हंसते हुए बोली, ए चमत्कार आज निशांत की वजह से हुआ है, उसने ही ऐसी बात कही जिसे सुनकर उसके पिताजी आपको लिवाने आपके ससुराल चले गए,

" पर भाभी निशांत है कहां?

निशांत की बुआ जी पूछने लगी!

वह तो बहुत देर पहले अपनी नई कार लेकर रचना के घर के लिए निकल पड़ा..और आपको तो पता ही है, वापस आते समय रचना की पसंद की सारी चीजें बाजार से दिलवाते हुए ही शाम तक आएगा.. निशांत की मां मुस्कुरा कर बोली!

शाम में निशांत और रचना दोनों घर आए!

" मां आज तो भाई की नई गाड़ी मैं खुद चला कर आई..बहुत मजा आ रहा था रास्ते में पर पापा कहां है वह तो दिखाई नहीं दे रहे??

" बेटा तुम्हारे पापा को यह निशांत इतना शर्मिंदा कर दिया..

कि वह बुआ जी को लेकर आए और दोबारा से अपने कमरे में चले गए..!

निशांत की मां हंसते हुए बोली!

" अरे यह तो है ही पागल" उसी बात को प्यार से समझा कर बोलता तो कम से कम पापा को इतनी तकलीफ तो नहीं होती

रचना भाई के लिए बोली!

और सीधे अपने पापा के कमरे में चली गई, पापा ने उसे निशांत की कही हुई सारी बात बताई, और यह भी बोलने लगे

" बेटा अब मुझे किसी तरह की चिंता नहीं है" इतना भरोसा तो इस पागल पर मुझे हो गया पूरे परिवार को एक साथ लेकर चलने वाला है, भले ही थोड़े से गुस्से वाला है..नादान है!

पर एक तरह से मुझसे भी ज्यादा समझदार है, बोलकर निशांत के पापा रोने लगे!

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