File Photo: kavita Singh

"भाभी आज ऑफिस में बहुत जरूरी मीटिंग है" इसलिए मुझे जाना पड़ेगा,आप प्लीज मां जी को समय से दवाई दे दीजिएगा! बाकी किचन का सारा काम में खत्म करके जा रही हूं... अपनी जेठानी से बोल कर अनामिका ऑफिस के लिए निकलने लगे!

"हां -हां कोई बात नहीं अनामिका" तुम जाओ मैं मां जी को समय से दवाई दे दूंगी, यहां की चिंता मत करो ,यहां के लिए मैं हूं! अनामिका की जेठानी बोलने लगी... फिर अनामिका ऑफिस चली गई! अनामिका को ऑफिस जाते हैं उसकी जेठानी अपनी सास के कमरे में आई, और अपनी आदत से लाचार अनामिका की जेठानी फिर से अपनी सास के कान भरने लगी उसके खिलाफ!

"मां जी देखना किचन के भी काम आधा -अधूरा छोड़ कर गई है महारानी" और तो और आपको दवाई भी टाइम से नहीं दी, और जाते-जाते आदेश देकर गई है कि मां जी को समय से दवाई दे देना!

अनामिका की सासू मां अपनी बड़ी बहू के स्वभाव से बहुत अच्छी तरह परिचित थी, वह बेड पर लेटे -लेटे मुस्कुरा

रही थी!

और मन ही मन सोच रही थी !

" अनु के सामने तो यह बहुत मीठी -मीठी बातें करके आई होगी... और यहां मेरे पास आकर उसके लिए जहर उगल रही है.. पूरी दुनिया सुधर जाए पर इसकी आदत जीवन में नहीं सुधरने बाली!

"अरे बड़ी बहू तुम चिंता मत करो" आज आने दो उसको ऑफिस से घर फिर मैं बताती हूं, सासू मां मुस्कुरा कर

बोली!

अनामिका की जेठानी को तो मानो लॉटरी के टिकट निकल पड़ी हो.. सासु मां की बातें सुनकर बहुत खुश हुई खुश होकर घर के काम में लग गई!

वैसे अनामिका के पति दो भाई थे और बहन एक ही थी जिसकी शादी हो चुकी थी..और उसके दो बच्चे भी थे.

अनामिका के ससुर जी के देहांत अभी 1 साल पहले ही दिल के दौरा पड़ने से हुआ था वह तो अच्छा था उन्होंने तीनों बच्चों की शादी कर ली थी वरना पता नहीं क्या होता?

जब शाम को अनामिका ऑफिस से घर पहुंची.घर पहुंचते ही सबसे पहले अपने सासू मां के कमरे में गई उसकी जेठानी पहले से ही वहां बैठी हुई थी,अनामिका को देखते ही सासु मां बोलने लगी!

"आ गई महारानी तुम ऑफिस से? घर का सारा काम रेनू के ऊपर छोड़ कर गई थी,

रेनू अनामिका की जेठानी का नाम था....

"नहीं मां जी मैं किचन का सारा काम खत्म करके गई थी.. और भाभी को बता कर गई थी समय से आपको दवाई दे दे!"

"झूठी कहीं की झूठ क्यों बोल रही है? अनामिका की जेठानी रेनू बोलने लगी...

पास में ही लेटी सासू मां मंद-मंद मुस्कुरा रही थी, वह अपनी बड़ी बहू को बहुत अच्छे से जानती थी... वह अनामिका को परिवार के नजरों में गिराने की कोई भी मौका हाथ से नहीं निकलने देती थी लेकिन फिर भी अनामिका उसे अपनी बड़ी दीदी की तरह चाहती थी.....

और बहुत बार प्यार से समझा भी चुकी थी कि दीदी आप मेरे साथ ऐसे क्यों करते हैं?

" क्या करती हूं मैं तुम्हारे साथ बताना जरा? मैं इस घर की सेवा 15 साल से कर रही हूं ..और तुम्हें आए अभी 4 साल हुए हैं, मेरे पति तुम्हारे पति से बड़े हैं फिर भी पिताजी का बिजनेस संभालने के लिए उनको नहीं मिला छोटे वाले को मिला!

सोच कर देखो अनामिका मां जी ने कितना गलत किया है मेरे साथ..!

"पर भाभी इन सब में मेरी क्या गलती है? आप उस समय ही मां जी से बात करती और उनको बोलती कि पिताजी के बिजनेस बड़े भैया को संभालने दे , उस समय तो आप कुछ बोली नहीं...और अब सारी भड़ास मेरे ऊपर निकालती रहती है!

मैंने आज तक क्या गलत किया है ? निशांत के बिजनेस में नुकसान होते देखकर मैं खुद जॉब करने लग गई कि घर में दो पैसे आएंगे तो खुशहाल रहेगा परिवार.

"भाभी बेशक आपको आए 15 साल हुए" मुझे आए अभी 4 साल ही हुए हैं पर घर की जिम्मेदारी मैं भी पूरी निभा रही हूं! मैं अगर ऑफिस जाती भी हूं तो घर के सारा काम खत्म करके जाती हूं... जिससे कि मां जी को या फिर आपको कोई परेशानी ना हो!

" हां हां क्यों नहीं" तुम और तुम्हारा पति ही तो सब कुछ करते हैं घर में मैं तो खाली बैठी रहती हूं ,अनामिका की जेठानी चिल्लाते हुए बोलने लगी!

अनामिका की सासू मां दोनों को प्यार से समझाने लगी, "देखो बेटा तुम दोनों ही बहुत अच्छी तरीके से घर की जिम्मेदारी संभाल रही हो" आपस में लड़ाई मत करो इससे घर की शांति भंग होती है, अगर तुम दोनों में नहीं बनती तो फिर तुम दोनों अलग हो जाओ पर लड़ाई झगड़ा मत करते रहो!"

"हां हां माजी"आप तो हमेशा अपने छोटे बेटे और छोटी बहू के ही पक्ष लेती है! अनामिका की जेठानी अपनी सास से शिकायत भरे लहजे में बोलने लगी...." ऐसी बात बिल्कुल भी नहीं है बहू" जहां पर उसकी गलती होती है हमेशा उसे डांट लगाती हूं मैं, और तुम जो इतनी जुबान चला रही हो मेरे सामने... जितना मैंने तेरे लिए किया ना उसके आधा भी इस बेचारी अनामिका के लिए नहीं कर पाई, क्योंकि उस समय तुम्हारे ससुर जी जिंदा थे,

और उनका बिजनेस भी अच्छा खासा चल रहा था और वह बेचारी तो जब से मेरे घर में आई है, संघर्ष ही कर रही है!

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