File Photo: Kavita Singh

"मां जल्दी करो, इस डब्बे में क्या भर रखी हो" चिल्लाता हुआ सुमित बोला. बेटा कुछ नहीं बस इसमें घर का बना हुआ खाना है..!! सुमित बोला- आप तो ऐसे भर रखे हो जैसे वहां होटल में खाना मिलता ही नहीं है, वहां पर सब कुछ मिलता है मां. हम लोग देर हो रहे हैं गाड़ी खड़ी है बाहर.!!

असल में सालों बाद सुमित को ऑफिस से 3 दिन की छुट्टी मिली थी. सुमित से छोटे दो भाई बहन और थे. बहन थी नव्या और भाई सचिन काफी दिनों से जिद कर रहे थे छुट्टियों में शिमला घूमने जाएंगे. सुमित को लगा चलो 3 दिन की छुट्टी है घुमा लाते सबको!

"बेटा मैं मानती हूं कि वहां होटल में सब कुछ मिलेगा खाने-पीने के लिए, पर घर के बने हुए खाने की अलग बात होती है."मां प्यार से समझाते हुए बोली. सुमित बोला अच्छा कोई बात नहीं चलो जल्दी करो!!

सुमित अपनी मां, बहन नव्या और भाई सचिन के साथ शिमला पहुंच गया. वहां जाकर सभी को बहुत अच्छा लग रहा था देखते-देखते 3 दिन कब निकल गए पता नहीं चला. तीसरे दिन सुबह सुमित छोटे भाई को उठाते हुए बोला- "वापस नहीं चलना क्या? घोड़े बेच कर सो रहे हो."

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सारे लोग वापस घर जाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन जैसे ही होटल से निकले पता लगा बर्फबारी की वजह से रास्ता जाम हो रखा था. ये देखते ही सुमित बुरी तरह परेशान हो गया! "मां अब मैं क्या करूं, मेरी तो 3 दिन की छुट्टी थी. छुट्टियां भी खत्म हो गई है अब 1 दिन भी रुका तो सैलरी से पैसे कटेंगे.

मां बोली बेटा पर हम अब क्या कर सकते हैं जब तक रास्ता साफ नहीं हो जाता तब तक तो हमें रुकना ही पड़ेगा... फिर वापस सारे लोग होटल चले गए. देखते देखते पूरे 1 सप्ताह निकल गए, सुमित का भाई बोला " भैया वैसे आप एक बात सोच कर देखो जब मैं घर पर रहती हैं.

उनको घर का सारा काम करना पड़ता है.. दिन रात घर के काम में लगी रहती हैं सफाई भी, कपड़े भी धोना ,खाना भी बनाना... इतना सारा काम करके मम्मा के हाथ कैसे हो गए हैं. आप कम से कम 1 सप्ताह तो उनको आराम मिला. यहां होटल में रहकर उनको कोई भी काम नहीं करना पड़ा...!

सचिन बोला" भैया मां हम लोगों के लिए कितना कुछ करती है. कभी-कभी तो हम लोगों का भी फर्ज बनता है कि उनके लिए कुछ करें!! सचिन की पूरी बात सुनने के बाद सुमित बहुत ही भावुक हो गया और मन ही मन सोच रहा था जो बातें मैं नहीं सोच पाया वह मेरा छोटा भाई सोच लिया...!

मां सच में हमारे लिए कितना कुछ करती है बीमार रहती है तो भी उठकर खाना बनाकर हम लोगों को खिलाती है...! उस दिन से सुमित की आंखें खुल गई और वह मां की हर बात मानने लगा.!

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