Why is Upper Assam considered the key to power in Assam politics

पांच साल पहले 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में कमल खिला दिया. लेकिन क्या वो इस बार अपने पास बचाए रखने में कामयाब हो पायेंगे? क्योंकि कांग्रेस अपने मजबूत गढ़ में से एक असम की सत्ता को फिर से हासिल करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है. बहरहाल जिस पार्टी के मन में भी असम की सत्ता पाने के मंसूबे पल रहे हैं उसे अपर असम में दमदार प्रदर्शन करना होगा. क्योंकि असम की सत्ता की चाबी यहीं से खुलती है.

अपर असम में बसे लोग राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस इलाके का संबंध असम के पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य से है और यहां बड़ी आबादी अहोम समुदाय, ट्राइबल्स समुदाय और चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों की हैं. और असम की राजनीति में इन समुदायों की भूमिका काफी अहम होती है.

राज्य विधानसभा की कुल 126 सीटों में से 47 सीटें अपर असम के हिस्से आती हैं. यहां पहले चरण यानी 27 मार्च को चुनाव हुये थे. गौरतलब है कि असम में तीन चरणों- 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल को वोटिंग हुये थे. वहीं वोटों की गिनती 2 मई को होनी है. पहले चरण में 47, दूसरे चरण में 39 और तीसरे चरण में 40 सीटों पर वोट डाले गये थे.

असम की सत्ता पाने के लिए पहला चरण बीजेपी, कांग्रेस और रायजोर तीनों के लिए ही अहम है. अपर असम वही क्षेत्र है जहां दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 लॉकडाउन लगने से पहले तक नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे. सियासी रूप से बेहद खास अपर असम में इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी को टक्कर देने के लिए रायजोर दल के प्रत्याशी किसान नेता अखिल गोगोई इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बना लिया है.

अखिल गोगोई कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के मुखिया हैं. 2019 में असम में हुए ऐंटी सीएए प्रोटेस्ट के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर किया गया था. एनआईए ने उन पर राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) का मुकदमा दर्ज दिया था. वह एक साल से ज्यादा समय से जेल में हैं और अब एक नए क्षेत्रीय दल रायजोर दल के अध्यक्ष हैं.

विधानसभा चुनाव में रायजोर दल ने दूसरे नए संगठन असम जातीय परिषद (AJP) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. दोनों ही दलों का जन्म सीएए विरोध से हुआ है. कहा जाता है कि अपर असम जिसका समर्थन करता है, सरकार उसी की बनती है. इस क्षेत्र का सिम्बॉलिक महत्व काफी है. इसलिए सभी पार्टियों ने प्रचार की शुरुआत यहीं से की. चुनाव के शुरुआती दौर में ही पीएम मोदी और राहुल गांधी दोनों ने यहां खूब रैलियां की थीं.

वैसे अपर असम में अखिल गोगोई फैक्टर कितना असर करेगा ये देखना दिलचस्प होगा. लेकिन इस चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी वर्सेस कांग्रेस की है. असम की सिंहासन पर वहीं पार्टी विराजमान होगी जो अपर असम में बेहतर प्रदर्शन करेंगी. 

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