File Photo: Polling in Assam Assembly Election 2021

असम विधानसभा चुनाव 2021 का वोटिंग का काम पूरा हो चुका है. गौरतलब है कि असम में 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को तीन चरणों में चुनाव हो चुके हैं. अब बारी है चुनाव नतीजे का जो 2 मई को घोषित किये जाएगे. एग्जिट पोल करने वाले बतला रहे है कि असम में बीजेपी की सत्ता बरकरार रहेगी. वहीं रिफ्लेक्शन लाइव की चुनावी कवरेज टीम ने अपने स्टडी में पाया है कि असम का सियासी रण जीतना बीजेपी के लिए उतना भी आसान नहीं जीतनी एग्जिट पोल वाले दावा कर रहे हैं. वोटर्स से बात करने के बाद ऐसा लग रहा है कि इस बार मुक़ाबला त्रिकोणात्मक हो सकता है.

सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाला मोर्चा एवं कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाला गठबंधन के आलवा एक तीसरा कोण भी है जो 2019 के नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के दौरान बना गठबंधन है. इस चुनाव में तीसरी शक्ति के तौर पर रायजोर दल (आरडी) और असम जातीय परिषद (एजेपी) का गठबंधन मैदान में है. ये दोनों पार्टियां 2019 के नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान उभरी हैं. यह क़ानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आने वाले ग़ैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने संबंधी क़ानून है. इन दोनों दलों का गठबंधन राज्य की राजनीति में नए चैप्टर जोड़ने का वादा कर रहा है.

बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में क्षेत्रीय असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) शामिल है. वहीं कांग्रेस पार्टी के महागठबंधन में मुस्लिम मतदाताओं की पार्टी के तौर पर उभरी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ़), बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ़), आंचलिक गण मोर्चा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) शामिल हैं.

बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ़) हाल ही में बीजेपी पर साझेदारों के साथ सही बर्ताव नहीं करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के पाले में आई है.

जहां बीजेपी की नज़र असम में अपनी सरकार की वापसी पर है. चूंकि असम पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है, ऐसे में इस राज्य में दोबारा सरकार बनाने के साथ बीजेपी पूरे पूर्वोत्तर भारत में अपनी स्थिति को मज़बूत कर सकेगी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के सामने देश भर में लगातार सिमट रही अपनी राजनीति व अपने वजूद को बचाने का इम्तिहान है.

पार्टी को उम्मीद है कि एआईयूडीएफ़ के साथ उसका गठबंधन बीजेपी को मज़बूत चुनौती पेश करेगा, हालांकि कांग्रेस पार्टी अतीत में एआईयूडीएफ़ पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाती रही थी. लेकिन पार्टी को भरोसा है कि इस गठबंधन का लाभ मिलेगा. हालांकि दूसरी ओर बीजेपी इस मौक़े पर कांग्रेस-एआईयूडीएफ़ को हिंदू विरोधी राजनीतिक गठबंधन के तौर पर पेश करने की पूरी कोशिश कर रही है.

असम चुनाव में बीजेपी हिंदुत्व पर फ़ोकस करने के साथ विकासवादी राजनीति का दावा भी कर रही है जबकि उसके सामने दोनों गठबंधन नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध पर चुनाव लड़ रहे हैं. राज्य में 2019 के आख़िरी महीनों से 2020 की शुरुआत तक नागरिकता संशोधन क़ानून के चलते बीजेपी के ख़िलाफ़ काफ़ी विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे. ये दोनों गठबंधन नागरिकता संशोधन क़ानून(CAA) को लेकर बीजेपी के ख़िलाफ़ आम लोगों के ग़ुस्से को भुनाकर सियासी रण जीतने की जुगत में हैं.

हालांकि बीजेपी का दावा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध, क़ानून की सही समझ नहीं होने के चलते थी और इसका चुनावों पर कोई असर नहीं होगा. लेकिन बीजेपी के दावे विपरीत सीएए असम में बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, जहाँ पड़ोसी देश बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों का आना वर्षों से एक अहम राजनीतिक मुद्दा रहा है.

बता दें कि असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं, जिनमें से 60 सीटें इस वक्‍त बीजेपी के पास हैं. कांग्रेस पास 26 सीटें हैं. यहां बीजेपी के सत्‍ता में आने पर नेतृत्‍व परिवर्तन की भी चर्चा है. राज्‍य में सबसे लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री उम्‍मीदवार को लेकर भी लोगों से सवाल किया गया. सर्वे में शामिल 40 फीसदी से अधिक लोगों ने राज्य के कद्दावर नेता हेमंत विस्वा शर्मा को सीएम बनाने पर सहमति जताई. वहीं उनके बाद दूसरे नंबर पर पूर्व सीएम तरुण गोगोई के बेटे और कांग्रेस नेता गौरव गोगई बतौर सीएम पद के लिए 32 फीसदी वोटर्स की पसंद हैं. जबकि 28 प्रतिशत लोगों ने ही वर्तमान सीएम सर्बानंद सोनोवाल को वापस सत्ता में लाने की बात कही.

असम की कुल 126 सीटों की बात करें तो वर्ष 2016 में बीजेपी गठबंधन को 126 में से 74 सीटें मिली थीं. वहीं कांग्रेस को 26 सीटें और उसके सहयोगी पार्टियों को 13 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए को 12-15 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है. उसे 59-61 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है. यूपीए को इस चुनाव में 54-56 सीटों सीटों पर जीत मिल सकती है, जबकि बीते चुनाव में उसे 39 सीटों पर जीत मिली थी. निर्दलीय व अन्‍य को बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है. बीते चुनाव में जहां उन्‍हें 13 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इस चुनाव में वे सिमट कर 1-2 सीटों पर आ सकते हैं. जबकि राज्य की सियासत में उभरी रायजोर दल (आरडी) और असम जातीय परिषद (एजेपी) का गठबंधन 10-12 सीटें जीत सकती हैं.

असम में एनडीए को हालांकि सर्वाधिक सीटें मिलती नजर आ रही हैं, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर नजर आ रही है. यहां सरकार गठन के लिए जादुई आंकड़ा 64 है, जिससे एनडीए को 3-5 सीट कम मिलने का अनुमान जताया गया है.

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