Why we eat khichdi on Makar Sankranti

आज देशभर में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जा रहा है. इस त्योहार को हर साल जनवरी के महीने में धूमधाम से मनाया जाता है. इस द‍िन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना हिंदू सनातन परंपरा में अति शुभ माना जाता है. इस द‍िन तीर्थ स्‍थानों व‍िशेषकर बनारस और इलाहाबाद के घाटों में स्‍नान कर सूर्य की पूजा की जाती है. जो लोग घाट नहीं जा पाते हैं, वे लोग घर पर ही स्‍नान करते हैं. 

स्नान के बाद तिल और गुड़ से बना गजक सूर्य को चढ़ाया जाता है और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. इस द‍िन चावल और दाल की खिचड़ी खाये जाने और दान करने का विशेष रिवाज है, तो चलिये जानते है ऐसा क्या कारण है कि इस दिन खिचड़ी खाने की शुरूआत हुई?

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. काली उड़द की दाल को शनि का और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक होती है. कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत करने के लिए ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी जरूर खानी चाहिए. इसलिए इस मौके पर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां डालकर खिचड़ी बनाई जाती है.

वहीं इससे जुड़ी एक दूसरी मान्यता के मुताबिक खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था. इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमजोर हो रहे थे. इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी.

यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था. इससे शरीर को तुरंत उर्जा मिलती थी. नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया. बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा. गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी मेला आरंभ होता है. कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे भी प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है.

खिचड़ी खाने और दान करने के पीछे एक और कारण है वो ये कि संक्रांति के समय नया चावल तैयार हो जाता है. चूंकि सूर्य देव से पूरा संसार रौशन होता है. सूर्य ऊर्जा के स्रोत है. उन्हीं की कृपा से धरती का अस्तित्व हैं इसलिए आभार व्यक्त करने के लिए सूर्य देव को गुड़ व तिल से बनी गजक और खिचड़ी प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं.

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