Can Congress Win Assam Assembly Election 2021

पिछले विधानसभा चुनाव 2016 में कांग्रेस को अपनी मजबूत गढ़ में से एक असम की सत्ता से बेदखल होना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने कांग्रेस को हटाकर राज्य में पहली बार अपनी सरकार बनाई. हालांकि इससे पहले 1979 में जोगेंद्र नाथ हजारिका की अगुवाई में जनता पार्टी सत्ता में काबिज हो चुकी है.

ये बात जरूर है कि भाजपा ने असम की सत्ता हासिल कर लिया. भाजपा को सबसे ज्यादा 60 सीटें भी मिलीं, लेकिन वोट शेयर के मामले में वो कांग्रेस से पिछे थी. कांग्रेस को सबसे ज्यादा 30.9 फीसदी वोट शेयर मिले लेकिन उसकी सीटों की संख्या 26 ही रहीं.

वहीं 29.5 फीसदी वोट पाने के बावजूद बीजेपी 60 सीट के साथ सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 14 सीट वाली अमस गण परिषद (AGP) और 12 विधायकों वाली बोडोलैंड पिपुल्स फ्रंट (BPF) के साथ मिलकर भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया था. इस बार बीजेपी बीपीएफ भाजपा गठबंधन में शामिल नहीं है. लिहाजा इसका उसे नुकसान भी उठाना पड़ेंगा. बीपीएफ इस बार कांग्रेस के पाले में है.

आपको बता दें कि असम कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. तरुण गोगोई के नेतृत्व में लगातार 15 साल तक यहां उसकी सरकार रही. वो असम में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा थे, जिनके नाम और काम पर यहां के लोग भरोसा करके 'हाथ' का साथ देते थे. लेकिन 2016 में कांग्रेस मूंह के बल गिर गई. और उसे अपना मजबूत दुर्ग गंवाना पड़ा. इस बार तो तरुण गोगोई जैसा करिश्माई नेता का भी साथ नहीं है क्योंकि कोरोना के चलते बीते साल नवंबर में उनकी मौत हो गई. फिर उसके बाद कांग्रेस कई धड़ों में बंट भी गई हैं.

Read Also: Assam Election 2021: कौन जीत रहा है असम का सियासी रण?

इस बार कांग्रेस असम में अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. इसलिए उसने एक-एक दांव काफी सोच-समझकर चला है. कांग्रेस को अब ये समझ में आ चुका है कि सत्तासीन बीजेपी से वह अकेले मुकाबला नहीं कर सकती इसलिए कई छोटी पार्टियों से गठबंधन का रास्ता अख्तियार किया.

बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), कम्यूनिस्ट पार्टी, मार्क्स कम्यूनिस्ट पार्टी, मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट कम्यूनिस्ट पार्टी और आंचलिक गण मोर्चा के साथ कांग्रेस का गणबंधन हुआ है. ब्रह्मपुत्र घाटी में निचले असम का एक बड़ा हिस्सा बंगाली भाषी मुसलमानों का घर है, जिसे AIUDF का गढ़ माना जाता है. मध्य असम की 30 सीट और बराक घाटी के तीन जिलों में इस पार्टी का दबदबा है. कांग्रेस की नजर असम के ऊपरी हिस्से की करीब 45 सीट पर भी है. कांग्रेस अन्य दो क्षेत्रीय पार्टी असम जातिया परिषद और रायजोर दल के साथ भी संभावनाएं तलाश रही है, जो साथ में चुनाव लड़ रहे हैं.

आंकड़ों के गुणा-गणित को देंखे तो 2016 के चुनाव में अजमल की AIUDF को 13 सीट मिली थी और बोडोलैंड पिपुल्स फ्रंट को 12 सीट. इसे यदि कांग्रेस के आंकड़े में जोड़ दिया जाए तो तीनों दलों का कुल वोट शेयर 57 फीसदी हो जाता है. अब अगर यही पैटर्न इस बार कायम रहता है, तो भाजपा गठबंधन के लिए सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो सकता है और कांग्रेस असम की सत्ता पर वापसी कर सकती हैं.

Read Also: Assam elections 2021: अपर असम को क्यों माना जाता है सत्ता की चाबी?

Discus