मध्य प्रदेश में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसान कल्याण इवेंट में किसानों को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर कृषि कानूनों का समर्थन किया. पीएम ने कहा कि ये जो कृषि कानून लाए गए हैं, वो रातों-रात नहीं लाए गए, पिछले 20-22 सालों में हर सरकार ने इसपर व्यापक चर्चा की है. कृषि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री और प्रगतिशील किसान इन सुधारों की मांग कर रहे हैं. पीएम मोदी ने आगे कहा कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हटाना होता तो वे स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट क्यों लागू करते.

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मोदी ने आगे कहा कि हमारी सरकार एमएसपी को लेकर गंभीर है, इसलिए हर साल बुआई से पहले ही इसकी घोषणा कर दी जाती है. स्वामीनाथन कमीशन रिपोर्ट के रिकमंडेशन को विपक्षी पार्टियों ने लगातार 8 साल तक दबाए रखा. विपक्षी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि किसानों पर अधिक खर्च न करना पड़े, इसलिए रिपोर्ट को बंद रखा गया. हमारे देश में वर्षों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है. फार्मिंग एग्रीमेंट से जुड़े पहले जो भी तौर-तरीके चल रहे थे, उनमें किसानों के लिए बहुत जोखिम था. नए कृषि कानून में हमारी सरकार ने किसानों को सुरक्षा देने के लिए कानूनी प्रावधान किए हैं.

मोदी ने डेटा भी दिया. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में गेहूं की एमएसपी 1400 रुपये प्रति कुंतल थी जो अब बढ़ाकर 1975 कर दी गई है. इसके अलावा धान की एमएसपी 1310 रुपये प्रति कुंतल से बढ़ाकर 1870 रुपये प्रति कुंतल कर दी गई है. इसी प्रकार दलहनों की बढ़ी हुई एमएसपी का उदाहरण देकर कहा कि उनकी सरकार एमएसपी को लेकर गंभीर है. मोदी ने कहा कि कुछ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं. इससे पहले यह सभी किसानों के लिए उपलब्ध नहीं थे लेकिन हमने इसे अब देश भर के किसानों के लिए उपलब्ध करा दिया है.

मोदी ने इस आंदोलन का समर्थन कर रहे विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा, “अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं.”

मोदी ने विपक्ष पर हमलावार रुख जारी रखते हुए आगे बोले, "किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला. इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े. इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है. किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को 8 वर्षों तक दबाकर बैठे रहे. हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने?"

वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों की आमदनी दोगुनी करना चाहते हैं और मंडी बंद नहीं की जाएगी. शिवराज ने विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह घड़ियाली आंसू बहा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ पर निशाना साधते हुए शिवराज ने कहा कि उन्होंने कर्ज माफी के फर्जी प्रमाण पत्र बांटे थे.

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