File Photo: Kavita Singh

श्रेया आज बहुत खुश थी,उसके घर में आज मेहंदी का प्रोग्राम जो रखा गया था...! और ठीक दो दिन बाद बारात आने वाली थी, पूरा घर खुश था कि लड़का इतना अच्छा मिला है, घर में मेहमान आने शुरू हो गए थे, श्रेया की मम्मी और दोनों छोटी बहने सारे मेहमानों की स्वागत में लगी हुई थी!

थोड़ी ही देर में आशुतोष और उसके घरवाले भी अपने घर की मेहंदी लेकर आ गए थे, श्रेया की मम्मी आशुतोष की मम्मी से बोलने लगी" बहन जी" बिल्कुल सही समय पर आई हैं आप! मैं आपलोगों का ही इंतजार कर रही थी.. कि आप लोग भी आ जाएं तभी प्रोग्राम शुरू किया जाए तो अच्छा है!

प्रोग्राम शुरू किया गया सब लोगों ने काफी इंजॉय किया.... दो दिन बाद शादी भी अच्छे से हो गई! शादी के बाद जब विदाई होने लगी तो आशुतोष के पापा श्रेया के पापा को रोते देख कर समझाने लगे... "भाई साहब" दिल दुखी मत कीजिए, आपकी बिटिया को मैं बहु नहीं अपनी बेटी बनाकर ले जा रहा हूं!

थोड़ी ही देर में गाड़ी एक बहुत ही सजावट किया हुआ मकान के सामने आकर रुकी श्रेया मन ही मन में सोचने लगी शायद हम पहुंच चुके हैं! तभी दरवाजे से आवाज आई" तुमलोग स्वागत वाली थाली लेकर आ जाओ बहू आ गई है"... श्रेया मन ही मन में सोच रही थी.....

"मेरे घर पर तो बोला जा रहा था बेटी लेकर जा रहा हूं बहु नहीं" और यहां आते के साथ ही बहु बन गई! सासू मां श्रेया की स्वागत की घर के अंदर लेकर गई! सब कुछ अच्छा चल रहा था दूसरे दिन श्रेया के घर से फोन आया उसकी मम्मी पूछ रही थी" बेटा 10 दिन बाद तो तुम्हारा जन्मदिन है" मैं और तुम्हारे पापा बाजार जा रहे थे तो सोची पूछ लूं क्या लेना है?

" अरे मम्मी" आपको और पापा को जो अच्छा लगे बो ले लेना इसमें मुझसे पूछने की क्या बात है....!

" श्रेया बेटा" अभी 2 दिन हुए हैं ससुराल गए हुए और कितनी समझदार हो गई हो ना तुम? श्रेया की मम्मी रोते हुए बोलने लगी.....

इतने में सासू मां आवाज लगाने लगी" बहु चाय तो बना लेती" पता नहीं सुबह-सुबह कहां फोन पर लगी हुई है?

" कुछ नहीं मां जी" मेरे घर से मम्मी का फोन था दरअसल दस दिन बाद जन्मदिन है मेरा तो मम्मी पूछ रही थी क्या खरीदना है बाजार से....

" अच्छा तुम्हारे पांच दिन बाद तुम्हारी ननंद अंजलि का जन्मदिन भी है"श्रेया की सासू मां बोली... श्रेया अपने जन्मदिन को लेकर बहुत उत्साहित थी की पता नहीं सारे लोग किस तरह से मनाएंगे... दस दिन बाद सारे लोगों ने जन्मदिन विश किया श्रेया को बहुत खुशी हुई...पर किसी ने दावत रखने की बात नहीं की इस बात से थोड़ी सी उदास भी थी! 

फिर जब पांच बाद उसकी ननंद अंजलि का जन्मदिन आया... तो सारे लोग सुबह से ही दावत की तैयारी में लग

गए!" बहू देखो रात में अंजलि की जन्मदिन के दावत है" और मैं नहीं चाहती किसी तरह की कोई कमी रहे...

तुम समझ रही हो ना? श्रेया की सासु मां आकर बोली....श्रेया भी बोलने लगी सब कुछ अच्छे से हो जाएगा आप चिंता मत कीजिए! पर श्रेया के मन में इस बात की तकलीफ तो थी कि लोग बोल देते हैं बहु नहीं बेटी लेकर जा रहा हूं पर ऐसा होता कहीं नहीं है ए सब सिर्फ कहने की बातें हैं!

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