Farmers Chakka Jam

किसान आंदोलन के समर्थन में शनिवार 6 फरवरी को तीन घण्टे के चक्के जाम का व्यापक असर देश भर में देखने को मिला. देश भर में चक्काजाम कर किसानों ने शक्तिप्रदर्शन किया. पंजाब-हरियाणा, राजस्थान ही नहीं तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, से लेकर बंगाल तक किसानों के चक्काजाम का ऐलान का असर दिखा. राजमार्ग पर किसानों का हुजूम उमड़ा. पूरे देश के किसानों ने एकजूट होकर शांतिपूर्वक तरीके से जो ताकत दिखाई, वो आंदोलन की आलोचना करने वाले लोगों के दावे को झूठलता है कि ये किसान आंदोलन सिर्फ एक-दो राज्यों तक सीमित है.

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26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद से ये किसान संगठनों का पहला बड़ा प्रदर्शन था. वहीं दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं बुलाया गया था. चक्काजाम को लेकर राजधानी दिल्ली, यूपी समेत तमाम राज्यों में अभूतपूर्व सुरक्षा बंदोबस्त देखे गए. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 50 हजार से पुलिसकर्मियों, अर्धसैनिक बल और रिजर्व फोर्स की तैनाती रही. लाल किले को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स की टीमें किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए मुस्तैद रहीं.

कांग्रेस, वामपंथी दलों के अलावा तमाम राजनीतिक दलों का भी किसानों को सपोर्ट मिला. वहीं दिल्ली के आईटीओ से लाल किला की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित शहीदी पार्क के सामने दोपहर को पुलिस ने नारेबाजी कर रहे SFI से जुड़े 8-10 लोगों को अरेस्ट कर लिया.

वहीं इस चक्काजाम के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मांगें माने जाने तक किसान घरों को नहीं लौटेंगे. हमने सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दो अक्टूबर तक की मोहलत दी है. अगर तब तक सरकार नहीं मानती है तो किसान संगठन विरोध प्रदर्शन की अगली रणनीति तैयार करेंगे.

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