ऑन पेज एसईओ(On page SEO) एसईओ का एक प्रकार है जिसमे वेबसाइट के कंटेंट जो ब्लॉग, आर्टिकल या फिर वीडियो के रूप में होते हैं को गूगल में रैंक कराने के लिए सर्च इंजन के लिए ऑप्टिमाइज़ किया जाता है. इसके बहुत सारे फैक्टर है जिनकी हेल्प से आप अपनी वेबसाइट को पूरी तर SEO फ्रेंडली बना सकते है.

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ऑन पेज SEO कैसे करते है? (How to do On page SEO in Hindi): सर्च इंजन के लिए ऑप्टिमाइज़ेशन के लिए ऑन पेज SEO में कई सारे फैक्टर का यूज किया जाता है जिसमें ये प्रमुख है:-

1. कीवर्ड रिसर्च(Keyword Research)

ऑन पेज SEO में सबसे पहला फैक्टर कीवर्ड रिसर्च का होता है, लेकिन ये कीवर्ड क्या होता है इस समझ लेते हैं.कीवर्ड (Keyword) उन्ही शब्दों को कहते हैं जो लोग गूगल सर्च बॉक्स में किसी भी जानकारी को प्राप्त करने के लिए वर्ड्स(words) लिखते हैं. जैसे की मैं अगर google पर जाकर लिखता हूं ‘विंटर डाइट टिप्स’ तो ये एक कीवर्ड हो जाता है और जो कंटेंटे राइटिंग करते हैं या वेबसाइट चलाते हैं उन्हें इन कीवर्ड को सर्च करना होता है और ये भी जानना होता है की महीने में कितने लोग इस कीवर्ड को सर्च करेंगे.

ताकि अगर मैं किसी टॉपिक के ऊपर पोस्ट लिखूं और उसका कीवर्ड रिसर्च पहले करूं तो मुझे आईडिया लग जायेगा की अगर मेरा पोस्ट गूगल पर रैंक हुआ तो कितने लोग महीने में मेरे ब्लॉग पर आ सकते हैं.

साथ ही कीवर्ड को जब आप अपने पोस्ट पर ऐड करते हो तो गूगल के क्रॉलर जब आपके ब्लॉग पर आएंगे तो समझ पाएंगे की ये पोस्ट इस टॉपिक से संबंधित है.

अब सवाल ये है की उन खास कीवर्ड की रिसर्च आप कैसे कर सकते हो ? तो उसके लिए पेड और फ्री टूल्स दोनों उपलब्ध हैं:

पेड कीवर्ड रिसर्च टूल्स

Ahref

Keyword Everywhere

फ्री कीवर्ड रिसर्च टूल्स

Google keyword planner

2. टाईटल, मेटा व यूआरएल में कीवर्ड का प्रयोग

पहले स्टेप में आपने उस कीवर्ड को रिसर्च किया जिसकी डिमांड है. इसके बाद आपको उस कीवर्ड को अपने पोस्ट में कुछ खास जगह पर प्लेस करना होता है ताकि गूगल के क्रॉलर समझ पाए की ये पोस्ट किससे संबंधित है जिससे आपके पोस्ट को रैंकिंग में काफी मदद मिलती है. इसलिए उन खास जगह की पहचान करके आपको कीवर्ड का इस्तेमाल करना करना चाहिए–

पोस्ट का टाईटल- ये आपकी कंटेंट को डिस्क्राइब करता है प्राइमरी कीवर्ड्स की मदद से और ये 55–60 कैरेक्टर्स के बीच ही होने चाहिए, क्यूंकि इससे ज्यादा हुए तब ये गूगल सर्च में हाईड हो सकते हैं.

पोस्ट का यूआरएल- कंटेंट की यूआरएल स्ट्रक्चर ठीक होनी चाहिए. प्रत्येक यूआरएल में एक टार्गेटेड कीवर्ड होनी चाहिए जो आपके यूआरएल के साथ मैच करें.

पोस्ट का मेटा डिस्क्रिप्शन- ये कंटेंट को डिफाइन करता है. कंटेंट का एक यूनिक मेटा डेस्क्रिप्शन्स होनी चाहिए.

यही तीन जगह पर गूगल के क्रॉलर की नजर पड़ती है और वो जानने की कोशिश करते है की पोस्ट किस चीज़ के बारे में लिखा गया है और आपको रैंकिंग में काफी हेल्प हो जाती है क्योंकि गूगल के रिजल्ट पेज में भी यही तीन चीज़ें दिखाई देती हैं.

3. हेडिंग (H1,H2) एवं पैराग्राफ में कीवर्ड का प्रयोग

आपका जो पोस्ट का टाईटल होता है वो बाई डिफॉल्ट h1 हेडिंग होता है तो उसमें तो आपको कीवर्ड का यूज करना ही है साथ ही जो आपके पोस्ट का H2 हेडिंग होगा उसमे भी अपने कीवर्ड का प्रयोग करें और उसके अलावा पोस्ट के फर्स्ट पैराग्राफ और लास्ट पैराग्राफ में भी आपको कीवर्ड डालना है. लेकिन यहां एक बात का जरूर ध्यान रखें की ये की कीवर्ड आपको जबरदस्ती यूज नहीं करना है. कंटेंट के फ्लों को बिना डिस्टर्ब किये नैचरल तरीके से यूज करना है.

4. लॉन्ग टेल कीवर्ड

लॉन्ग टेल कीवर्ड सामान्य कीवर्ड(सार्ट टेल कीवर्ड) से थोड़े अलग होते हैं. सिमलर कीवर्ड जैसे की अगर मैं गूगल पर सर्च करता हूं ‘विंटर डाइट टिप्स’ तो जरुरी नहीं की सब ऐसे ही सर्च करेंगे वो ऐसे भी लिख सकते What should we eat in winters, winter diet plan in hindi इसलिए हमे ऐसे सिमलर कीवर्ड को पोस्ट में जरूर बीच में प्रयोग करना चाहिए. ताकि सभी सिमलर कीवर्ड पर हमारा पोस्ट रैंक हो और वेबसाइट का ट्रैफिक बढ़ सके.

5. कीवर्ड डेन्सिटी

किसी पोस्ट में आपको द्वारा कितनी बार किसी पर्टिक्यलर कीवर्ड को इस्तेमाल किया गया है उसे कीवर्ड डेन्सिटी कहते हैं. आमतौर पर आपने जितने शब्दों का पोस्ट लिखा है उसका 2 फीसदी तक ही कीवर्ड का यूज उसमे करना चाहिए.

लेकिन आपको ये भी ध्यान रखना है की पुरे पोस्ट में बार -बार एक ही कीवर्ड को न डालें. उससे रिलेटेड दूसरे कीवर्ड का भी प्रयोग करें क्योंकि एक ही सवाल को लोग गूगल पर अलग-अलग तरीके से भी पूछते हैं तो आप कही-कही पर उन सामान शब्दों का भी प्रयोग करें और साथ ही लॉन्ग टेल कीवर्ड का इस्तेमाल जरूर करें.

6. इन्टर्नल और आउट्बाउन्ड लिंगकिंग

गूगल हमेशा उन पोस्ट को बहुत पसंद करता है जो आपस में इंटरलिंक्ड यानी जुड़े होते हैं मतलब की आपने पोस्ट में उसी से रिलेटेड टॉपिक के अपने ही किसी दूसरे पोस्ट को भी उसमे ऐड किया हुआ है तो इससे यूजर को फिर से कही और नहीं जाना पड़ता है वो एक ही पोस्ट से आपके पुरे सिमिलर टॉपिक के आर्टिकल को पढ़ सकता है. दूसरा आप किसी और आर्टिकल के पोस्ट का लिंक भी ऐड कर सकते हैं जो आपके यूजर को बेहतरीन जानकारी देने में मदद करें. इसे आउट्बाउन्ड लिंगकिंग कहते हैं.

6. इमेज आप्टमाइज़

पहले आप अपने पोस्ट में इमेज का जरूर प्रयोग करें क्योंकि इमेज से भी यूजर को टॉपिक किस बारे में है समझने में आसानी होती है. इससे आपकी पोस्ट काफी सुंदर भी दिखती है. दूसरा इमेज के साइज को काम्प्रेस करके यूज करे और इमेज को रिनेम करके वहां भी मेन कीवर्ड को डालें और पोस्ट में अपलोड करते समाय भी आल्ट टेक्स्ट में कीवर्ड का प्रयोग करें. आपको बता दें कि किसी ग्राफिक को डिस्क्राइब करने के लिए लिखा गया टेक्स्ट ही अल्ट टेक्स्ट होता है. यह ग्राफिक की रैंकिंग के लिए जरूरी होता है. वैसे अगर आप वेब कंटेंट में बिना ऑल्ट टेक्स्ट के इमेजेज डालते हैं तो गूगल उसे समझ नहीं पाता है इसलिए इमेज के साथ हमें एक अल्टरनेटिव टेक्स्ट भी प्रदान करना चाहिए. जिससे की सर्च इंजन भी इन्हें आसानी से समझ सके.

7. क्वालिटी कंटेंट

‘कंटेंट इज दि किंग’ ये तो आप सुनते ही होंगे, काम्पटिशन के इस दौर में ऑनलाइन बिज़नेस में वहीं सक्सेस हो सकता है जिसके कंटेंट में दम होगा. इसलिए आप जिस भी टॉपिक पर पोस्ट लिख रहे हो उसे अच्छे रिसर्च करके लिखे ताकि आपके यूजर को सारी जानकारी आपके उस एक पोस्ट में ही मिल जाये और पोस्ट में कठिन शब्दों का इस्तेमाल कतई न करें. आसान भाषा में पोस्ट को लिखने का प्रयास करें.

8. वेबसाइट स्पीड

वेबसाइट की स्पीड भी SEO में एक खास स्थान रखता है अगर आपके वेबसाइट की स्पीड कम होती है तो यूजर आपके वेबसाइट को छोडकर किसी दूसरे वेबसाइट पर चला जाएगा. गूगल भी जिन वेबसाइट की लोड स्पीड ज्यादा होती है उन्हे टॉप रैंक नहीं देता है. किसी भी वेबसाइट की लोड स्पीड 3 सेकंड से कम है तो गूगल उसे दूसरी वेबसाइट की तुलना में ज्यादा अहमियत देता है.

9. वेबसाइट थीम

ऑन पेज SEO का एक अहम हिस्सा वेबसाइट की थीम यां नेविगेशन भी है. अगर आपकी वेबसाइट की थीम अच्छी है तो यूजर को आपके ब्लॉग पर आर्टिक्ल पढ़ने में मजा आएगा. परंतु आपकी थीम और साइट का नेविगेशन ही अच्छा नहीं है तो यूजर आपके वेबसाइट पर आने के बाद इम्प्रेस नहीं होगा. इसलिए अपने वेबसाइट के अंदर ऑन पेज एसईओ में अच्छी थीम और प्रोपर नेविगेशन दे.

ऊपर बताये गए ये फैक्टर ऑन पेज एसईओ(On page SEO) ऑप्टिमाइज़ेशन में मुख्य घटक के रूप में इस्तेमाल किये जाते हैं. यदि आप अपने वेब कंटेंट को SEO फ्रेंडली बनाना चाहते हैं तो इन कारकों पर जरूर फोकस करें.

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